RSS-BJP News: लोकसभा चुनाव के बाद BJP-RSS के बीच चल रही तनातनी की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को RSS से जुड़े आयोजनों में शामिल होने की अनुमति दे दी है.
22 July, 2024
नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10 साल से केंद्र की सत्ता में हैं, लेकिन इस दौरान सरकार ने RSS पर सरकारी कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की कोई कोशिश नहीं की. अब मोदी तीसरी बार सत्ता में आए हैं तो अचानक RSS पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया. कहा भी जाता है कि राजनीति में टाइमिंग महत्वपूर्ण होता है. मोदी को तीसरी बार बहुमत नहीं मिला है और चुनाव नतीजे के बाद RSS लगातार BJP पर हमलावर है. हाल में मोहन भागवत बिना नाम लिए दो बार नसीहत दे चुके हैं. मोहन भागवत ने कहा था कि आत्म-विकास के क्रम में एक मनुष्य सुपरमैन, फिर देवता और भगवान बनना चाहता है. संकेतों के जरिये मोहन भागवत ने बड़ा संदेश दिया.
कहां से शुरू हुआ विवाद?
BJP-RSS के बीच विवाद तब शुरू हुआ था जब लोकसभा चुनाव के दौरान एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले BJP को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की जरूरत थी. आज हम बढ़ गए हैं और सक्षम हैं तो BJP अपने आप को चलाती है. इससे जाहिर है कि BJP और RSS के बीच भारी मनमुटाव था. खबर ऐसी भी आई कि चुनाव के दौरान BJP ने RSS की मदद नहीं मांगी. इसका नतीजा यह हुआ कि RSS ने दिल खोलकर प्रचार नहीं किया. इसका नतीजा यह हुआ कि BJP को उत्तर प्रदेश में भारी नुकसान हुआ. महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में पार्टी को झटका लगा और सीटें कम हुईं.
अब BJP को RSS की जरूरत पड़ी?
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने हैं. इसके साथ ही साथ महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं. गौर करने की बात है कि महाराष्ट्र में BJP को करारा झटका लगा है. NDA को 58 सीटों में से महज 17 सीटों ही मिलीं, वहीं हरियाणा लोकसभा में BJP की सीटें आधी हो गईं. ऐसी स्थिति में BJP किसी भी कीमत पर इन राज्यों में हारना नहीं चाहती है. अगर हारती है तो BJP की भारी किरकिरी होगी इसीलिए BJP अब RSS को खुश करने में लग गई है, ताकि चुनाव में फिर से RSS सक्रिय हो सके.
58 सालों के बाद क्यों हटा RSS पर से प्रतिबंध?
सवाल है कि अटल बिहारी वाजपेयी भी सात सालों तक केंद्र में थे, लेकिन RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध पर उनकी नजर नहीं गई है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी 10 साल से सत्ता में बने हुए हैं. मोदी ने RSS के तीन एजेंडे में से एक कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया. इसके अलावा मोदी के कार्यकाल में ही अयोध्या में राम मंदिर बना, जबकि BJP इस बार लोकसभा चुनाव में यहां से हार गई. यूनिफॉर्म सिविल कोड उत्तराखंड और असम में लागू करने की तैयारी चल रही है. अब 58 साल बाद RSS के कार्यक्रम में सरकारी कर्मचारी भाग ले सकेंगे.
कई राज्यों में हासिल है छूट
गौरतलब है कि 30 नवंबर, 1966 में इंदिरा गांधी की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. केंद्र सरकार ने इसी महीने 9 जुलाई को यह फैसला लिया, जबकि लोगों को सोमवार को पता चला कि RSS के कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों को भाग लेने पर प्रतिबंध हटा दिया गया है. इस फैसले के तहत 1966, 1970 और 1980 के विवादित कार्यालय ज्ञापनों से RSS का उल्लेख हटा दिया गया है, दरअसल 1966 में गौ हत्या के खिलाफ आंदोलन हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी. इसी के बाद इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों को RSS के कार्यक्रम में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह फैसला केंद्र में लागू रहा है, लेकिन जहां जहां प्रदेश में BJP की सरकार आई तो RSS से प्रतिबंध हटना शुरू हो गया. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्य सरकारें सरकारी कर्मचारियों के RSS से जुड़े होने पर प्रतिबंध को पहले ही हटा चुकी हैं. अब केंद्र सरकार के फैसले का RSS ने स्वागत किया है. संघ का कहना है कि इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी।
RSS पर तीन बार प्रतिबंध भी लगा
महात्मा गांधी की हत्या के बाद 1948 में RSS पर प्रतिबंध लगाया गया था. उस समय देश के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने यह फैसला लिया था. हालांकि 18 महीने के बाद खुद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने RSS से प्रतिबंध हटा लिया था।. RSS पर दूसरा प्रतिबंध तब लगा जब इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल के दौरान RSS पर अंकुश लगा दिया था और फिर तीसरा प्रतिबंध प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के शासन काल में 1992 में लगाया गया था जब अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. कांग्रेस लगातार RSS पर लगातार हमलावर रहती है. कांग्रेस ने सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने वाले फैसले का विरोध किया है, लेकिन मोदी सरकार की कोशिश है RSS को खुश करने की ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी अपनी खोई शक्ति फिर से हासिल कर सके.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स)
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