बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेख हसीना हिंसक प्रदर्शन के बीच राजधानी ढाका छोड़कर अन्य देश जा रही हैं.
05 August, 2024
Sheikh Hasina Profile : पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में तख्ता पलट हो गया है. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने सोमवार (5 अगस्त) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और प्रदर्शनकारियों के गुस्से की वजह से उन्हें देश छोड़ना पड़ा. बताया जा रहा है कि वह बांग्लादेश छोड़कर अन्य देश में शरण लेंगीं. राजनीतिक गालियारों में यह खबर भी तैर रही है कि उनकी पार्टी के कई और वरिष्ठ नेताओं के भी देश छोड़ने की चर्चा है. इस दौरान एक तरफ प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास तक पहुंच गए, तो वहीं दूसरी तरफ शेख हसीना हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए राजधानी ढाका छोड़कर किसी अन्य देश जा रही हैं. सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कैसे प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े चलाए.
कौन हैं Sheikh Hasina? (Biography)
28 सितंबर, 1947 को जन्मीं शेख हसीना, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) की सबसे बड़ी बेटी हैं. शेख हसीना का शुरुआती जीवन पूर्वी बंगाल के तुंगीपाड़ा में बीता. उन्होंने यहीं अपनी स्कूली पढ़ाई-लिखाई पूरी की. इसके बाद कुछ समय तक वो बांग्लादेश के सेगुनबागीचा में भी रहीं. फिर कुछ वक्त बाद उनका पूरा परिवार बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शिफ्ट हो गया था.
कॉलेज समय से था राजनीति में Interest
शुरुआती दौर से शेख हसीना राजनीति में काफी सक्रिय और दिलचस्प भूमिका में रहीं. जब साल 1966 में शेख हसीना ईडन महिला कॉलेज में थीं तभी से ही राजनीति में उनकी दिलचस्पी बढ़ी. कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला ले लिया. इसके बाद शेख हसीना ने अपने पिता मुजीबुर रहमान की पार्टी (Awami League) का काम संभालने का फैसला किया. उन्होंने कॉलेज समय से ही पॉलिटिक्स में सक्रिय रहने का फैसला कर लिया था.
मां-बाप और भाईयों की हत्या के बाद किस्मत से बची थीं हसीना
शेख हसीना की जिंदगी में साल 1975 में एक बड़ा भूचाल आ गाया. यह वही वक्त था जब बांग्लादेश की सेना ने उनके परिवार के खिलाफ बगावत और विद्रोह छेड़ दिया था. हथियारबंद लड़ाकों ने शेख हसीना की मां, उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और तीन भाइयों को मौत के घाट उतार दिया. उस वक्त शेख हसीने ने राजनीति में नया कदम रखा था और उन्हें यह सब देखना पड़ा. शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां और अपने बच्चों के साथ यूरोप में थीं इसलिए वह बच गईं. इस बड़े सदमे से उभरने के लिए वो दिल्ली आ गईं और कुछ साल यहीं रहीं. शेख हसीना साल 1981 में बांग्लादेश लौटीं. बांग्लादेश लौटने के बाद शेख हसीना ने अपनी पिता की पार्टी को आगे बढ़ाने का फैसला लिया.
मौत को दे चुकी हैं मात
बहुत कम लोग जानते हैं कि शेख हसीना (Sheikh Hasina) दो बार मौत को मात दे चुकी हैं. पहली बार साल 1975 में जब उनके परिवार की हत्या हुई तो देश से बाहर होने की वजह से संयोगवश बच गईं. फिर साल 2004 में उनके ऊपर ग्रेनेड से अटैक हुआ, जिसमें वह बहुत बुरी तरह घायल हो गईं थी. इस हमले में 24 लोग मारे गए थे, लेकिन शेख हसीना मौत को छूकर से वापस आ गईं.
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