Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी में रक्षाबंधन के अवसर पर भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को देवी सुभद्रा ने राखी बांधी.
19 August, 2024
Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी में रक्षाबंधन के अवसर पर भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) और बलभद्र को देवी सुभद्रा ने राखी बांधी. इस राखी को श्रीमंदिर के पतारा बिसोई सेवकों ने तैयार किया था. परंपरा के मुताबिक, रक्षाबंधन के दिन भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की मूर्तियों को खास ‘पाटा राखी’ बांधी गई.
भगवान के लिए बनाई गई चार राखियां
मंदिर के सेवक भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा की ओर से खास राखियां तैयार की गई थीं. भगवान जगन्नाथ और बलभद्र, दोनों के लिए चार राखियां बनाई गई थीं. उनकी मूर्ति के हर हाथ पर एक राखी बांधी गई. ये खास राखियां ‘बसुंगा’ पाटा से बनाई जाती हैं. पाटा खास तरह का रेशमी कपड़ा होता है. रंगीन कपड़ों को गोले के आकार में सिल दिया जाता है. इसकी हर परत नीचे वाली परत से थोड़ी छोटी होती है. रक्षाबंधन के दिन देवताओं की मूर्तियों को सुपारी से बनी खास माला से भी सजाया जाता है.
हर साल भक्त मिलकर बनाते हैं खास राखी
ओडिशा के पुरी में हर साल भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) और बलभद्र को देवी सुभद्रा राखी बांधती हैं. भक्त मिलकर खास ‘पाटा राखी’ बनाते हैं और फिर इसे भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को बांधा जाता है. भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों में भाई-बहन के रिश्ते का बहुत महत्व है. रक्षा बंधन को भाई बहने का त्योहार कहा जाता है. ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर भाई-बहनों को समर्पित एकमात्र मंदिर है.
देवी सुभद्रा अपने भाइयों को बांधती हैं राखी
भारत में भाई-बहनों का एक और प्रमुख त्यौहार पुरी रथयात्रा है. रथयात्रा के दौरान 3 देवताओं को 3 अलग-अलग हस्तनिर्मित लकड़ी के रथों पर जुलूस के रूप में निकाला जाता है और फिर गुंडिचा मंदिर में ले जाया जाता है. भगवान यहां 7 दिनों तक रहते हैं और फिर वापस लौट आते हैं. यात्रा से पहले देवी सुभद्रा अपने भाइयों भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को राखी बांधती हैं, जो यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा का प्रतीक है . यह प्रथा राखी के त्यौहार को दर्शाती है. इसलिए राखी वाले दिन भाई अपनी बहनों के सम्मान की रक्षा करने की कसम खाते हैं.
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