'ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं...' पढ़ें देशभक्ति को जगा देने वाले शेर.

नाक़ूस से गरज है न मतलब अजां से है, मुझ को अगर है इश्क तो हिन्दोस्तां से है.

गरज है

ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं, कि जल्द हम कोई सख्त इंकलाब देखेंगे.

सख्त इंकलाब

 कहां हैं आज वो शम-ए-वतन के परवाने, बने हैं आज हकीकत उन्हीं के अफ्साने. 

शम-ए-वतन

हम भी तिरे बेटे हैं जरा देख हमें भी, ऐ खाक-ए-वतन तुझ से शिकायत नहीं करते.

तिरे बेटे हैं

भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ, दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ.

सिक्का बिठाए

क्या करिश्मा है मिरे जज्बा-ए-आजादी का, थी जो दीवार कभी अब है वो दर की सूरत.

जज्बा-ए-आजादी