Bangladesh Controversy: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है, जिसको लेकर भारत में कई तरह की बातें चल रही हैं.
Bangladesh Controversy: इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (International Crimes Tribunal) ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और 45 दूसरे लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. शेख हसीना पर हाल ही में हुए सरकार विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के खिलाफ कथित तौर पर अपराध का आरोप है. इस मामले पर ट्रिब्यूनल ने अफसरों को शेख हसीना समेत सभी 46 लोगों को 18 नवंबर तक गिरफ्तार करने और कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि इस साल अगस्त में बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे लेकर काफी बवाल हुआ था, जिसके वजह से शेख हसीना को प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के साथ ही भारत में भाग आई थी. उनके ऊपर 15 साल के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर नजरबंदी और हत्याओं समेत मानवाधिकारों के हनन के आरोप हैं.
इस मामले पर बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने अपने बयान में कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि पर सबसे पहले 2013 में हस्ताक्षर किया गया था और फिर 2016 में इसे फिर से अपडेट किया गया. जब कुछ क्लॉज को और कड़ा किया गया और कुछ प्रावधानों को और कड़ा किया गया.
क्या है भारत-बांग्लादेश के बीच संधि का प्रावधान ?
दरअसल, संधि का अनुच्छेद 6 कहता है कि अगर आरोप राजनीतिक प्रकृति का है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. इसके अलावा अनुच्छेद 8 में बताया गया है कि अगर ये माना जाता है कि आरोप ‘सद्भावना’ से नहीं लगाए गए हैं या उनमें ऐसे सैन्य आरोप शामिल हैं जिन्हें सामान्य कानून के तहत अपराध नहीं माना जाता है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.
भारत के लिए बांग्लादेश का सख्त रुख
इस मुद्दे पर भारत से संपर्क करने का फैसला राजनीतिक कदम हो सकता है. हालांकि, बांग्लादेश पहले संकेत दे चुका है कि ये एक विकल्प उसके पास मौजूद है.
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