Introduction Of Bangladesh Next Coup
Bangladesh Next Coup: 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश की राजधानी में लाखों की संख्या में प्रदर्शनकारी सीधे बांग्लादेश की संसद की ओर कूच कर रहे थे. चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था. इसी दिन बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था. उस समय की प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और भारत भागकर अपनी जान बचाई थी. उस समय बांग्लादेश में हालात इस कदर खराब हो चुके थे कि लगभग 300 से ज्यादा लोगों की जान गई थी.
Table Of Content
- Bangladesh में छात्रों ने क्यों बनाई नई पार्टी?
- Bangladesh के जनरल क्यों दे रहे चेतावनी?
- क्या ऑपरेशन डेविल हंट Bangladesh में पड़ गया भारी?
- Bangladesh को लेकर भारत सरकार की क्या है सोच?
पूरे देश में प्रदर्शन देखने को मिल रहा था. अब एक बार फिर से इतिहास ने करवट लेना शुरू कर दिया है. अब माना जा रहा है कि एक बार फिर से बांग्लादेश में तख्तापलट हो सकता है. यह तख्तापलट पाकिस्तान की राजनीतिक संकटों से मेल खाते हैं. ऐसे में विदेशी मालमों के जानकारों की मानें, तो बांग्लादेश भी पाकिस्तान की राह पर चलने लगा है. यह बातें हम नहीं कह रहे हैं, यह सभी दावे वर्तमान के हालात को देखते हुए सामने आ रहे हैं.
Bangladesh में छात्रों ने क्यों बनाई नई पार्टी?
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सूचना सलाहकार और देश के छात्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. अब उन्होंने नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया है. इस पार्टी का औपचारिक शुभारंभ शुक्रवार को किया जाएगा.

नाहिद इस्लाम को इस पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया गया है. अख्तर हुसैन युवा नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे. इसके अलावा हसनत अब्दुल्ला को दक्षिणी क्षेत्र के लिए मुख्य आयोजक, सरजिस आलम को उत्तरी क्षेत्र के लिए मुख्य आयोजक और नसीरुद्दीन पटवारी को मुख्य समन्वयक नियुक्त कर दिया गया है.
सरजिस आलम ने गुरुवार को अपने फेसबुक पोस्ट में पार्टी का नाम भी बता दिया है. पार्टी का नाम होगा JNC यानि जातीय नागौरिक समिति. इस पार्टी का नाम ADSM यानि भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन की पहल पर रखा गया है. गौरतलब है कि इसी आंदोलन की वजह से शेख हसीना को अपना पद छोड़ना पड़ा था और जान बचाकर भारत रवाना हो गई थी.

इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे नाहिद इस्लाम. अब नाहिद इस्लाम की राहें मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से जुदा हो गई है. उन्होंने अपने इस्तीफे का एलान करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए एक नई पार्टी का उदय बेहद जरूरी हो गया है. मैंने जन विद्रोह को मजबूत करने के लिए सड़कों पर बने रहने का फैसला किया है और इसलिए ही कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
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Bangladesh के जनरल क्यों दे रहे चेतावनी?
हालिया मामलों के बीच बांग्लादेश के सेनाध्यक्ष जनरल वकर-उज-जमान ने भी कई बड़े बयान दिए हैं. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश सेना के सभी सदस्यों को राष्ट्र की आवश्यकता पड़ने पर अपनी सर्वोच्च जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कुछ दिनों पहले ही माना है कि उनके देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है.

साथ ही उन्होंने इसे गंभीर समस्या भी बताया. राजनीतिक उथल-पुथल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि सामाजिक-राजनीतिक संकट की वजह से बांग्लादेश में स्थिति खराब हो गई है. सशस्त्र बलों के एक समारोह में उन्होंने कहा कि देश में एकता और अनुशासन की जल्द से जल्द जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि लगातार और तेजी से बढ़ती अंतर्कलह बांग्लादेश की संप्रभुता को भारी खतरे में डाल रही है.
अपने ही देश के नेताओं को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश में विवाद जारी रहा तो, तो देश की स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी और हमें जरूरी कदम उठाना पड़ेगा. छात्र विरोधी आंदोलनों के बाद सेनाध्यक्ष जनरल वकर-उज-जमान ने ही मोर्चा संभाला था. उनके ही देखरेख में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का गठन किया गया था. अब उनकी ओर से दिए जा रहे इस तरह के बयान किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं.
क्या ऑपरेशन डेविल हंट Bangladesh में पड़ गया भारी?
दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंसक झड़पें बढ़ती ही जा रही हैं. कुछ दिनों पहले बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित एक एयरबेस पर स्थानीय लोगों और वायुसेना कर्मियों के बीच झड़प हो गई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. सेना की मीडिया शाखा ISPR यानि इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में कहा था कि उपद्रवियों ने कॉक्स बाजार के समितिपारा के पास बांग्लादेश वायु सेना बेस पर हमला किया था.

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यह हमला गृह मामलों के सलाहकार और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद जहांगीर आलम चौधरी की ओर से कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराए जाने के कुछ घंटों बाद हुआ था. उन्होंने आरोप लगाया था कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के गुर्गे देश को अस्थिर करने के लिए बाहर घूम रहे हैं, लेकिन किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
मुहम्मद जहांगीर आलम चौधरी के निर्देश पर बांग्लादेश में ‘ऑपरेशन डेविल हंट’ नाम का एक ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस ऑपरेशन के तहत लगभग दस हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. माना जा रहा है कि इसमें कथित तौर पर अपदस्थ हसीना सरकार से जुड़े गिरोहों को निशाना बनाया गया.
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई-अगस्त के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले छात्रों ने अवामी लीग शासन को उखाड़ फेंका था. अब वही प्रदर्शनकारी बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बाद मुहम्मद जहांगीर आलम चौधरी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. अब मुहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने फिर से कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर समय सतर्क रहने का आदेश दिया है.
Bangladesh को लेकर भारत सरकार की क्या है सोच?
कुछ दिनों पहले भारत के प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. इसके बाद दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश में तख्तापलट और तख्तापलट के पीछे अमेरिकी डीप स्टेट के बारे में पूछा गया, तो डोनाल्ड ट्रंप ने हैरान करने वाला जवाब दिया था.
I will leave Bangladesh to the Prime Minister Modi – Trump
— Mr Sinha (@MrSinha_) February 14, 2025
Big statement…. It means the USA won't interfere if India does something.. pic.twitter.com/8BabmIdL3c
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उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हमारे डीप स्टेट की कोई भूमिका नहीं थी. यह कुछ ऐसा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लंबे समय से काम कर रहे हैं. ईमानदारी से कहूं तो मैं इसके बारे में पढ़ता रहा हूं. मैं बांग्लादेश के मुद्दे को प्रधानमंत्री के लिए छोड़ता हूं. ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन अब बांग्लादेश के किसी भी मामले में शामिल नहीं होगा, जहां कट्टरपंथी इस्लामी तत्व हिंदुओं सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं.

इस मुलाकात के कुछ दिनों बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी जमकर सुनाया था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के नेताओं की ओर से दिए जा रहे बयानों को हास्यास्पद बताते हुए बांग्लादेश पर ही गंभीर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि अगर अंतरिम सरकार में हर दिन कोई खड़ा होकर हर चीज के लिए भारत को दोषी ठहराता है, तो अगर आप रिपोर्ट देखें तो उनमें से कुछ चीजें बिल्कुल हास्यास्पद हैं. आप एक तरफ यह नहीं कह सकते कि मैं भारत के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता हूं, लेकिन मैं हर सुबह उठता हूं और हर गलत चीज के लिए भारत को ही दोषी ठहराता हूं. यह एक ऐसा निर्णय है, जो उन्हें लेना ही होगा.

उन्होंने तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर मन बनाना होगा कि वह भारत के साथ किस तरह का रिश्ता रखना चाहते हैं. उन्होनें जोर देकर कहा कि बांग्लादेश के साथ हमारा एक लंबा इतिहास है, जो साल 1971 से चला आ रहा है. साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हमले को लेकर बांग्लादेश की सरकार पर तीखा हमला बोला था. इसके पहले उन्होंने ओमान की राजधानी मस्कट में बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से मुलाकात कर भारत के प्रति अंतरिम प्रशासन के विरोधी रुख और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा को लेकर लताड़ लगाई थी.
🚨🇮🇳🇧🇩Bangladesh has to MAKE UP ITS MIND on relations with India: Jaishankar
— Sputnik India (@Sputnik_India) February 23, 2025
बांग्लादेश को भारत के साथ संबंधों को लेकर निर्णय लेना चाहिए: जयशंकर pic.twitter.com/GoW25NBjp9
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Conclusion Of Bangladesh Next Coup:
गौरतलब है कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार शेख हसीना को अलोकतांत्रिक तरीके से हटाए जाने के बाद और सत्ता संभालते ही भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपना चुकी है. शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही है. साथ ही सीमा पर बाड़ लगाने के मामले में भी बांग्लादेश के उच्च अधिकारियों ने कड़ा रुख अपनाया है.
हालिया तनावों के बीच भारत के विदेश मंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार किसी भी कीमत पर शत्रुता बर्दाश्त नहीं करेगी. इन सब के बीच विदेशी मालमों के जानकारों की मानें, तो बांग्लादेश पाकिस्तान की राह पर चलने लगा है. दरअसल, पाकिस्तान और बांग्लादेश की राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप का एक लंबा इतिहास रहा है.
ऐसे में अब सेनाध्यक्ष जनरल वकर-उज-जमान के बयानों ने भी अटकलों को हवा दे दी है. सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेशी सेनाध्यक्ष राजनीतिक आकाओं को चुनाव की आवश्यकता की ओर इशारा कर रहे हैं ताकि वह तैयार रहें, नहीं तो सेना फिर से तख्तापलट करने के लिए तैयार है. नाहिद इस्लाम की ओर से नई पार्टी का गठन भी इसी ओर इशारा कर रही है.
नाहिद इस्लाम के इस्तीफे की विपक्षी BNP यानि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने आलोचना की है. पार्टी के प्रवक्ता ने एक राजनीतिक पार्टी के गठन पर सवाल उठाया है. अब बांग्लादेश के संकट में होने के कारण सभी की निगाहें यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर टिक गई हैं. पहले इस साल के अंत तक या साल 2026 की शुरुआत में चुनाव होने की उम्मीद थी, लेकिन इस पर कोई स्थिति साफ नहीं हो पाई है. अब जैसे-जैसे बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, यह सवाल बना हुआ है कि क्या बांग्लादेश फिर से एक और सैन्य तख्तापलट के कगार पर है या लोकतंत्र कायम रहेगा?
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