Home History Chamliyal Mela 2024: भारत और पाकिस्तान की समान आस्था का प्रतीक है ‘चमलियाल मेला’, जानिए पूरा इतिहास

Chamliyal Mela 2024: भारत और पाकिस्तान की समान आस्था का प्रतीक है ‘चमलियाल मेला’, जानिए पूरा इतिहास

by Arsla Khan
0 comment
Chamliyal Mela 2024

Chamliyal Mela 2024: भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जीरो लाइन के करीब हर साल 22 जून को बाबा चमलियाल का मेला लगता है, जिसमें भारत-पाकिस्तान दोनों ही जगह से लोग चादर चढ़ाने जाते हैं.

26 May, 2024

Chamliyal Mela 2024: भारत और पाकिस्तान (Indo-Pakistan) के रिश्तों में जारी कड़वाहट के बीच हर साल लगने वाले बाबा चमलियाल मेले (उर्स) का वक्त आ गया है. जिसे लेकर भक्त काफी ज्यादा खुश हैं. दरअसल, इस बार पाकिस्तानी श्रद्धालुओं को बाबा दिलीप सिंह मन्हास की दरगाह का ‘शरबत’ और ‘शक्कर’ के प्रसाद का बड़ी बेसब्री से इंतजार है. यह दरगाह बाबा चमलियाल (Chamliyal Mela) के नाम से भी मशहूर है.

मेले से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरियां हुई कम

भारत और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगने वाला ये मेला दोनों के बीच बनी दूरियां कम करता है. वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पाकिस्तानी श्रद्धालु बड़ी तादाद में चमलियाल बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाने आते हैं. 22 जून को लगने वाले इस मेले की तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू होने लगती है.

सीमा पार ‘शक्कर’ और ‘शरबत’ का प्रसाद

जम्मू से लगभग 50 किलोमीटर दूर सांबा जिले के रामगढ़ क्षेत्र के दग गांव में ये मेला हर साल आयोजित होता है. ये जगह अपने साथ दोनों देशों के इतिहास को समेटे हुए है. मेले के दौरान पाकिस्तान की तरफ चादर चढ़ाई जाती है और इसके बदले में भारत से सीमा पार शक्कर और शरबत भेजी जाती है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच प्रेम की भावना देखने को मिलती है. बाबा दिलीप सिंह मन्हास की दरगाह पर लोगों की लंबी कतार भी देखने को मिलती है. बाबा से आस लगाए ये श्रद्धालु बढ़ी दूर से दरगाह में अपनी फरीयाद लिए आते हैं.

दरगाह का इतिहास

यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों पहले बाबा दिलीप सिंह मन्हास के एक शिष्य को एक बार ‘चम्बल’ नामक चर्म रोग हो गया था. जिसे बाबा ने अपने शिष्य को कुएं के ‘पानी’ तथा ‘मिट्टी’ का लेप शरीर पर लगाया और उसके बाद वो चर्म रोग दूर हो गया. बस जब से ही मान्यता है कि बाबा चमलिया चर्म रोग दूर करते हैं. साथ ही दंतकथा में भी बाबा चमलियाल का जिक्र है. उसमें बताया गया है कि दिलीप सिंह मन्हास की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए गांव के एक व्यक्ति ने ईर्ष्यावश बाबा का गला काट कर उनकी हत्या कर दी. साथ ही जून महीने में लगने वाले सलाना मेले के अलावा देश भर से हर रोज लोग अपने चर्म रोगों के लिए भी इस मेले में आते हैं.

यहां भी पढ़ें : Tour Operator Fire: सिक्किम सरकार का बड़ा फैसला, ‘टूर ऑपरेटरों’ में किया बदलाव

You may also like

Leave a Comment

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

@2024 Live Times News. All Right Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00