Home International सड़कों पर हजार से अधिक लाशें, फांसी पर लटकाए गए अल्पसंख्यक; जानें क्यों जलने लगा ये देश

सड़कों पर हजार से अधिक लाशें, फांसी पर लटकाए गए अल्पसंख्यक; जानें क्यों जलने लगा ये देश

by Divyansh Sharma
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Syria Violence 2025: सीरियाई सुरक्षा बलों और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के वफादारों के बीच जारी झड़पों में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

Syria Violence 2025: सीरिया में पिछले साल ही तख्तापलट देखने को मिला था. एक बार फिर सीरिया से बहुत बड़ी जानकारी सामने आ रही है. सीरियाई सुरक्षा बलों और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के वफादारों के बीच चार दिनों से जारी झड़पों और बदले की कार्रवाई में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने इस बात की जानकारी दी है.

मरने वाले में से 745 नागरिक शामिल

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि यह घटना 14 साल पहले साल 2011 में सीरिया में शुरू हुए गृह युद्ध के बाद से हिंसा की सबसे घातक घटनाओं में से एक है. मरने वाले में से 745 आम नागरिक शामिल हैं. वहीं, गोलीबारी में मारे गए 125 सरकारी सुरक्षा बल के जवान और राष्ट्रपति बशर अल-असद से जुड़े हथियारबंद समूहों के 148 के सदस्य मारे गए हैं.

साथ ही लताकिया शहर के कई इलाकों में बिजली और पीने का संकट पैदा हो गया है. गुरुवार को शुरू हुई झड़पें दमिश्क में नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती का संकेत हैं. बता दें पिछले साल दिसंबर में पहले विद्रोहियों ने बशर अल-असद को हटाकर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी.

नई अंतरिम सरकार का कहना है कि वह बशर अल-असद के की सेना के बचे हुए समूहों के हमलों का जवाब दे रहे थे. साथ ही उन्होंने हिंसा के लिए व्यक्तिगत कार्रवाइयों को जिम्मेदार ठहराया है. अंतरिम राष्ट्रपति और सीरियाई नेता अहमद शरा शांति का आह्वान किया है.

चौथे दिन भी जारी लड़ाई के बीच लताकिया, जब्ला और बनियास शहरों के आसपास झड़प कम हो गई है. अब सुरक्षा बल आसपास के पहाड़ी इलाकों की तलाशी ले रहे हैं. माना जा रहा है कि पहाड़ी इलाकों के पास अभी भी पांच हजार से अधिक बशर अल-असद समर्थक विद्रोही छिपे हुए हैं.

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शिया अल्पसंख्यक को बनाया निशाना

माना जा रहा है कि अंतरिम सरकार के वफादार सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों की ओर से बशर अल-असद के समर्थक अलावी यानि शिया अल्पसंख्यक को भी निशाना बनाया गया है. हालात की निगरानी कर रही कई संस्थाओं ने इसे बदले की भावना से की गई हत्याएं बताया है. कई को फांसी देने की भी बात सामने आ रही है.

हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित कस्बों में से एक बनियास में शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे. बंदूकधारियों ने कुछ घरों को भी जला दिया. बता दें कि हाल के हमले साल 2013 में गृहयुद्ध को दबाने के लिए बशर अल-असद की सेना की ओर से किए गए रासायनिक हथियारों के हमले के बाद से सबसे अधिक है. एक अनुमान के मुताबिक रासायनिक हथियारों के हमले में एक शहर में लगभग 1400 लोग मारे गए थे.

बता दें कि साल 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद पिछले साल HTS यानि हयात तहरीर अल-शाम का और उसके कमांडर मोहम्मद अल-जोलानी के नेतृत्व में तख्तापलट कर दिया गया था. बशर अल-असद ने रूस भागकर अपनी जान बचाई. रूस, ईरान और तेहरान के प्रति वफादार मिलिशिया ने बशर अल-असद का समर्थन किया. ऐसे में संघर्ष अभी भी जारी है. बशर अल-असद को हटाने के बाद हिंसा बढ़ गई है.

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