Introduction
Priyanka Gandhi Birthday: केरल के वायनाड लोकसभा सीट से सांसद और कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी आज 53 साल की हो गई हैं. करीब तीन दशक से कांग्रेस के लिए पर्दे के पीछे से राजनीति कर रही प्रियंका गांधी वाड्रा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी हैं. वह हर चुनाव में कांग्रेस के लिए स्टार चुनाव प्रचारक के रूप में काम करती आई हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई वायनाड सीट से चुनाव जीतकर वह पहली बार सक्रिय राजनीति में उतरी हैं. इस आर्टिकल के जरिए आज हम उनके बारे में कई खास बाते बताएंगे.
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Table Of Content
- जन्म और परिवार
- शुरुआती जीवन और शिक्षा
- शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
- कैसे हुई थी मुलाकात?
- किसने किया पहले प्रपोज?
- राजनीति में शुरू किया सफर
- अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
- राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
- 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
- लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
- संसद के सदस्य
- बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
जन्म और परिवार
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प्रियंका गांधी का जन्म नई दिल्ली में 12 जनवरी, 1972 को हुआ था. उनके पिता का नाम राजीव गांधी और मां का नाम सोनिया गांधी था. प्रियंका गांधी को ‘आयरन लेडी’ के नाम से भी लोग बुलाते हैं. उनकी तुलना देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और उनकी दादी इंदिरा गांधी के साथ की जाती है. वह एक प्रभावशाली और करिश्माई हस्ती हैं.
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दावा किया जाता है कि प्रियंका गांधी की नाक उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी से मिलती है. वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने भी कई बार इस बात का जिक्र किया है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान खुद प्रियंका गांधी भी कह चुकी हैं कि मेरी नाक दादी से मिलती है. साल 2019 के चुनाव में भी उन्होंने इसी बात का जिक्र किया था.
शुरुआती जीवन और शिक्षा
वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने साल 1984 तक देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद सुरक्षा कारणों से राहुल और उन्हें दोनों को दिल्ली के डे स्कूल में भेज दिया गया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लगातार मिल रही आतंकी धमकियों की वजह से प्रियंका और राहुल की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई. बाद में वह दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. इसके बाद उन्होंने जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की और वर्ष 2010 में बौद्ध अध्ययन में मास्टर डिग्री हासिल की.
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शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
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प्रियंका जब सिर्फ 13 साल की थी, तो उनकी मुलाकात रॉबर्ट वाड्रा से हुई थी. काफी लंबे समय तक दोनों दोस्त रहे और फिर शादी करने का फैसला कर लिया. हर लड़की की तरह प्रियंका को भी शादी के लिए अपने परिवार को मनाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. शुरुआत में परिवार इस शादी को लेकर राजी नहीं था, जिसके लेकर काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, जिद्दी प्रियंका ने हार नहीं मानी और परिवार को उनकी की सुननी पड़ी. सोनिया-राहुल सब इस शादी को राजी हो गए. उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा से 8 फरवरी, 1997 को शादी की.
कैसे हुई थी मुलाकात?
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यहां बता दें कि दोनों की पहली मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे. एक इंटरव्यू में रॉबर्ट वाड्रा ने बताया था कि मैं नहीं चाहता था कि हमारे इस रिश्ते के बारे में कोई जाने, क्योंकि लोग इसे समझ नहीं पाते और कोई अलग ही रूप दे देते थे.
किसने किया पहले प्रपोज?
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रॉबर्ट वाड्रा ने आगे बताया था कि स्कूल के एक कॉमन फ्रेंड थे, जो प्रियंका को जानते थे. वह सब वहां पर बैडमिंटन समेत अलग-अलग खेल खेलने जाते थे. वहीं, पर उनकी मुलाकात प्रियंका से हुई. उन्हें मेरी सादगी पसंद आई. मैं जींस-टीशर्ट और कोल्हापुरी में जाता था. मजाक ज्यादा करता था और स्पोर्ट्स अच्छा खेलता था. मुझे वह पसंद करती थीं, लेकिन बात ज्यादा नहीं करती थीं. उन्होंने आगे बताया कि प्रियंका ने ही उन्हें पहले प्रपोज किया था.
राजनीति में शुरू किया सफर
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प्रियंका गांधी अकसर ही रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थी, जहां उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ सीधे बातचीत की. वह अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह जनता से जुड़ाव की कला को बखूबी जानती हैं. इसके अलावा उनको राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल भी बखूबी आता है. जब कांग्रेस पार्टी पर संकट के काले बादल गहराता हैं, तो प्रियंका गांधी हर मोर्चे को बड़े बारीकी से संभालती हैं. फिर चाहे वह हिमाचल में विधायकों की नाराजगी की वजह से अस्थिर हुई सरकार को सेटल करना हो या गांधी परिवार के खिलाफ बने जी-20 ग्रुप को खत्म करना हो. वह हर एक राजनीतिक मुद्दे को सुलझाना में बेहद माहिर हैं.
अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
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वर्ष 2004 के भारतीय आम चुनाव में उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी के अभियान प्रबंधक के रूप में काम किया और अपने भाई राहुल गांधी के अभियान की देखरेख में मदद भी की. साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान जहां, राहुल गांधी ने राज्यव्यापी अभियान का प्रबंधन का काम संभाला. वहीं, प्रियंका ने अमेठी और रायबरेली क्षेत्र की 10 सीटों पर ध्यान दिया और सीट आवंटन पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी कलह को संबोधित करने में 2 सप्ताह बिताए.
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राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
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साल 2019 में इच्छा न होने के बावजूद आधिकारिक तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने आम और विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया. वह अकसर रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थीं, जहां उन्होंने निवासियों से सीधे बातचीत की. इस भागीदारी ने उन्हें इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समर्थन के साथ एक जानी-मानी हस्ती बना दिया. इसकी वजह से अमेठी में चुनाव के दौरान ‘अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका’ के खूब नारे लगते थे. वहीं, अक्टूबर 2021 में उन्हें यूपी पुलिस ने 2 बार गिरफ्तार किया था. पहली बार हिरासत पश्चिमी यूपी के लखीमपुर खीरी की उनकी यात्रा के बाद हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के काफिले के बीच झड़प के बाद 8 लोग मारे गए थे. उन्हें और कई अन्य पार्टी के नेताओं को सीतापुर में एक गेस्ट हाउस में हिरासत में लिया गया था , जिसका इस्तेमाल उन्हें 50 घंटे से अधिक समय तक रखने के लिए अस्थायी जेल के रूप में किया जा रहा था. दूसरी बार उनकी गिरफ्तारी आगरा में की गई थी. यूपी पुलिस ने उन्हें सभाओं पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए हिरासत में लिया था, जब वह एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मिलने आगरा जा रही थी.
2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
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प्रियंका गांधी वाड्रा ने 23 अक्टूबर, 2021 को बाराबंकी से कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद से वह अकसर ही चुनाव प्रचार में दिखाई देने लगी और लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई. जनवरी 2022 में उन्होंने अपने भाई राहुल के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया. घोषणापत्र राज्य के विकास के साथ-साथ युवा और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था और आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 40% टिकट देने का भी वादा किया गया था.
लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
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महिला सशक्तिकरण और राजनीति में भागीदारी को लेकर उन्होंने अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राज्य में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ने उन्हें सक्रीय मीडिया के जरिए लोगों के बीच पहचान दिलाई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन उन्होंने राज्य की राजधानी लखनऊ में एक रैली की शुरुआत की. इस रैली से कई वादे और उम्मीदें थीं, जिसमें पूरे राज्य से महिलाओं की भागीदारी देखी गई. इन अभियानों और रैली के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को कड़ी मशक्कत के बाद भी एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा था. 403 विधानसभा सीटों में से केवल 2 सीटें जीत हासिल की गई थी. इसके बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिसंबर 2023 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद 5 अगस्त, 2022 को उन्होंने मूल्य-वृद्धि और मुद्रास्फीति के खिलाफ कांग्रेस के ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
संसद के सदस्य
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वर्ष 2024 के भारतीय आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार करने और पार्टी के भीतर अधिक संगठनात्मक भूमिका निभाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एलान किया कि वह चुनावी राजनीति में शामिल होंगी और अपने भाई राहुल की जगह लेने के लिए वायनाड उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने इस चुनाव में कुल 4,10,931 मतों के अंतर से चुनाव जीता. वह अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के साथ संसद में काम करेंगी. वह और उनके भाई 18वीं लोकसभा में एक साथ काम करने वाले पहले और एकमात्र भाई-बहन हैं.
बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर हम आपको उनके बचपन की कुछ तस्वीरें दिखाएंगे और उससे जुड़ी कुछ बातें बताएंगे जो शायद ही आप जानते हों.
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प्रियंका ने एक वीडियो साल 2023 में अपने सोशल मीडिया अकांउट पर शेयर किया था. इसमें उन्होंने अपने बचपन के बारे में कुछ बातें शेयर की थीं. इस दौरान उन्होंने बताया कि बचपन में सभी भाई बहनों की तरह उनकी भी अपने भाई राहुल गांधी के साथ जबरदस्त लड़ाई होती थी. उन्होंने आगे बताया कि राहुल गांधी हमेशा जीत जाते थे.
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पूर्व प्रधानमंत्री और दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से दोनों भाई-बहन अकसर घर में ही रहते थे और पढ़ाई भी घर में ही करते थे. पिता राजीव देश के भ्रमण पर होते थे. मां सोनिया गांधी भी उनके साथ होती थीं. इस बीच दोनों भाई बहन की घर में अकसर ही लड़ाई हो जाती थी. जब पिता राजीव गांधी घर पर होते थे तो वह लड़ाई को खत्म कराते थे.
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अपने बचपन के बारे में बताते हुए प्रियंका कहती हैं कि भले ही राहुल और वह झगड़ते थे, लेकिन हमारी दोस्ती भी बहुत गहरी थी. हम दोनों में एक खूबी थी, जब भी कोई बाहरी आकर लड़ता था, तो दोनों एकजुट होकर एक टीम बनाकर उस पर टूट पड़ते थे.
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