Home National ‘हिंदी ने कई भाषाओं को निगला’, CM-शिक्षा मंत्री में ठनी; जानें तमिलनाडु में क्यों छिड़ा लैंग्वेज वॉर

‘हिंदी ने कई भाषाओं को निगला’, CM-शिक्षा मंत्री में ठनी; जानें तमिलनाडु में क्यों छिड़ा लैंग्वेज वॉर

by Divyansh Sharma
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Tamil Nadu Hindi Language War: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी भाषा को लेकर बड़े आरोप लगाए हैं. NEP-2020 को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है.

Tamil Nadu Hindi Language War: तमिलनाडु में अगले साल चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले राज्य में हिंदी भाषा को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी भाषा को लेकर बड़े आरोप लगाए हैं. इस विवाद के बीच उन्होंने कह दिया है कि हिंदी ने कई भारतीय भाषाओं को निगल लिया है. ऐसे में जानना जरूरी है कि इस विवाद की शुरुआत कहां से और क्यों हुई है.

NEP-2020 को लेकर छिड़ा है विवाद

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को अपने एक X पोस्ट में हिंदी को लेकर बड़ा हमला बोला. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि अन्य राज्यों के मेरे प्यारे बहनों और भाइयों, क्या कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया? उन्होंने आगे लिखा कि भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई भाषाएं अब अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ रही हैं.

उन्होंने आगे कहा कि एक अखंड हिंदी पहचान के लिए जोर देने से प्राचीन मातृभाषाएं खत्म हो रही हैं. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी सिर्फ हिंदी के गढ़ नहीं थे. उनकी असली भाषाएं अब अतीत की निशानियां बन गई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि तमिलनाडु इसका विरोध करता है क्योंकि हम जानते हैं कि इसका अंत कहां होगा. दरअसल, यह पूरा मामला NEP यानि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लेकर है. NEP-2020 के तहत देश के सभी राज्यो के छात्रों को तीन भाषाएं सीखनी होंगी. इसके लिए राज्यों और स्कूलों को तय करना होगा कि वह कौन सी 3 भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं.

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लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं मुख्यमंत्री

क्लास 1 से 5 तक के छात्रों के लिए मातृभाषा या स्थानीय भाषा, क्लास 6 से 10 तक के छात्रों के लिए 3 भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान से इस विवाद की शुरुआत हुई थी. उन्होंने वाराणसी में 15 फरवरी को काशी तमिल संगम कार्यक्रम के आयोजन में तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया था.

उनके इस बयान के बाद लैंग्वेज वॉर शुरू हुआ. तमिलनाडु के चेन्नई में एक DMK यानि द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम की रैली के दौरान उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान ने खुलेआम धमकी दी है. राज्य के फंड उस समय जारी किया जाएगा, जब हम तीन-भाषा वाली नीति को स्वीकार करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि जिन राज्यों ने हिंदी को स्वीकार किया, उन्होंने अपनी मातृभाषा खो दी. केंद्र सरकार लैंग्वेज वॉर शुरू न करे.

इसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कह दिया कि हम लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं. केंद्र राज्य पर हिंदी न थोपे. अगर जरूरत पड़ी तो वह एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं. इसके बाद विवाद बढ़ता देख शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखकर NEP यानि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के विरोध पर जमकर सुनाया.

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