दिल्ली विधानसभा का चुनाव चरम पर है. आरोप-प्रत्यारोप के साथ आप, भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. पिछले 10 वर्षों से केंद्र में भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके दिल्ली की जनता ने दो बार ‘आप’ पर भरोसा जताया और केजरीवाल को कमान सौंपी.
DELHI: दिल्ली विधानसभा का चुनाव चरम पर है. आरोप-प्रत्यारोप के साथ आप, भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. पिछले 10 वर्षों से केंद्र में भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके दिल्ली की जनता ने दो बार ‘आप’ पर भरोसा जताया और केजरीवाल को कमान सौंपी. कांग्रेस के हालात वैसे ही काफी बुरे हैं, जबकि भाजपा इस बार केजरीवाल को बेदखल करते सत्ता में आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है.
हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी मुस्लिम वोटर अहम माने जा रहे हैं. दिल्ली में 12 सीटें मुस्लिम बहुल हैं. दिल्ली की कुल आबादी में 12.9 फीसदी मुस्लमान हैं. ऐसे में उनके वोट चुनावी नतीजों के लिए काफी अहम हो जाते हैं. चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद वही प्रत्याशी होता है, जो भाजपा को हराने में सक्षम होता है. पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो 2013 में कांग्रेस को कुल 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
हालांकि 2015 में यही वोट कांग्रेस के हाथ से फिसलकर ‘आप’की झोली में जा गिरा. इसके बाद 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने मुस्लिम बहुल 12 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की. इस तरह कांग्रेस के वोट शेयर में 2013 की तुलना में 2015 में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. इस बार दिल्ली का चुनाव कांग्रेस मजबूती से लड़ रही है. ऐसे में ‘आप’को डर सता रहा है कि कहीं वह सत्ता में आने से वंचित न हो जाए. ‘आप’का खेल बिगाड़ने के लिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है. माना जा रहा है कि ओवैसी के आने से इसका सीधा नुकसान ‘आप’और कांग्रेस को होगा.
सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता प्रतिशत वाली विधानसभाक्षेत्र
- सीलमपुर —–50 %
- मटियामहल —-48 %
- ओखला —–43 %
- बल्लीमारान —–38 %
- मुस्तफाबाद —– 36 %
- बाबरपुर —– 35 %
- सीमापुरी —– 25 %
- गांधीनगर —– 22 %
- चांदनी चौक —– 20 %
- सदर बाजार —– 22 %
- विकासपुरी —– 20 %
- करावल नगर ——20 %
उधर, दिल्ली चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. टूटी सड़कें और प्रदूषण भी मुद्दा है. गंदी यमुना का मामला भी उछला है. ऐसे में दिल्ली की जनता के बीच इन मुद्दों का क्या असर होता है. यह 8 फरवरी को आने वाले नतीजों से ही स्पष्ट होगा.
ये भी पढ़ेंः BJP में शामिल हुए AAP के ‘बागी’, जानें 8 विधायकों ने केजरीवाल को दिया कितना बड़ा डेंट