प्रयागराज महाकुंभ के समापन के 20 दिन बाद भी विदेशी परिंदे संगम तट पर अभी तक अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. जबकि ये परिंदे फरवरी के Last तक संगम और आसपास का इलाका छोड़ देते थे.
LUCKNOW: प्रयागराज महाकुंभ के समापन के 20 दिन बाद भी विदेशी परिंदे संगम तट पर अभी तक अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. जबकि ये परिंदे फरवरी के Last तक संगम और आसपास का इलाका छोड़ देते थे. मार्च तक पक्षियों की मौजूदगी देखकर पक्षी वैज्ञानिक भी हैरान हैं.पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि यह संगम जल की शुद्धता का प्रतीक है.
पहले फरवरी के आखिरी सप्ताह तक छोड़ देते थे इलाका
जलीय जीवन और पक्षियों के अंतर्संबंधों पर शोध कर रहे जीव वैज्ञानिक प्रो. संदीप मल्होत्रा का कहना है कि लारस रीडिबंडस प्रजाति के ये विदेशी परिंदे रूस, साइबेरिया और पोलैंड जैसे ठंडे देशों से हर साल दिसम्बर के आख़िरी हफ्ते में संगम की धरती पर जमा हो जाते हैं जो फरवरी के आखिरी सप्ताह तक यहां रहते हैं. भोजन और प्रजनन के लिए सात समंदर पार से आने वाले ये विदेशी परिंदे प्रदूषण के अच्छे संसूचक माने जाते हैं. प्रदूषण मुक्त जल में पलने वाले जीवों को खाकर रहने वाले ये पक्षी प्रदूषण मुक्त हवा में ही सांस ले सकते हैं.

फरवरी के आखिरी हफ्ते से 15 दिन का समय गुजर जाने पर इनकी भारी संख्या में मौजूदगी इस बात का संकेत दे रही है कि संगम के जल और वायु में दिसंबर से इनके अनुकूल स्थिति बनी हुई है. यही बात यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में भी सामने आई थी. गंगा नदी में डॉल्फिन की मौजूदगी और उनकी बढ़ती आबादी को भी गंगा नदी के जल के प्रदूषण से जोड़ कर देखा जा रहा है.
विश्व वन्य जीव दिवस 3 मार्च, 2025 पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी में 6,324 डॉल्फ़िन और सिंधु नदी में तीन डॉल्फ़िन हैं. इसके पूर्व 2021 के पहले गंगा की मुख्य धारा में औसतन 3,275 डॉल्फ़िन थीं.इसमें भी सबसे अधिक यूपी में पाई गई. फतेहपुर, प्रयागराज से पटना के बीच गंगा नदी में गंगेज डॉल्फिन की बढ़ती आबादी भी गंगा के जल की गुणवत्ता का स्पष्ट संकेत है. इससे भी पक्षी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर मुहर लग रही है.
ये भी पढ़ेंः गरीबों को मिला योगी का साथ, जमीन कब्जा करने वालों पर टूटेगा कहर, सबकी खुशहाली सरकार का संकल्प
- लखनऊ से राजीव ओझा की रिपोर्ट